वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर सैनिकों की भावनाओं से खेल रहे YouTubers

जी हां आज हम बताने जा रहे हैं कि किस प्रकार हमारे देश के सैनिकों और पूर्व सैनिकों के साथ वन रैंक वन पेंशन (OROP) के नाम पर मजाक किया जा रहा है और उनकी भावनाओं को YouTubers अपना पैसा कमाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं आइये जानते है पूरी सच्चाई

वन रैंक वन पेंशन (OROP)

केंद्र सरकार द्वारा साल 2014 में सेना से रिटायर पूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) के लिए वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना लागू करने की घोषणा की थी। वन रैंक-वन पेंशन इस योजना के तहत जो सैनिक अलग-अलग समय पर रिटायर हुए उन सभी पूर्व सैनिको व जो आज उसी रैंक पर जो सैनिक काम कर रहे है उन सभी की पेंशन राशि में ‍कोई बड़ा अंतर नहीं होगा, चाहे वो कभी भी रिटायर हुए हों।

वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर फैला रहे अफवाह

हमारे देश की सेना का सम्मान हम और आप सभी लोग करते हैं लेकिन आज के समय कुछ लोग केवल यूट्यूब पर पैसा कमाने के लिए हमारे देश की सेना के जवानों के साथ मजाक कर रहे हैं वे लोग यूट्यूब पर गलत व आधी अधूरी जानकारी के वीडियो बनाकर गलत प्रचार कर रहे हैं जिससे की सैनिको व पूर्व सैनिको में एक भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं

हमारे देश के पूर्व सैनिक काफी समय से वन रैंक वन पेंशन (OROP) की मांग पर अड़े हुए हैं लेकिन कुछ युटयुबर्स हमारे सैनिकों की इन भावनाओं का मजाक बनाकर कुछ इस प्रकार के वीडियो बना रहे हैं जिसमें यह बताया जाता है कि वन रैंक वन पेंशन (OROP) पर कोर्ट का फैसला आ चुका है सरकार ने पूर्व सैनिको की सभी मांगे मान ली है, सैनिको और ऑफिसर्स में अनबन कुछ इस प्रकार के गलत वीडियो प्रचार कर रहे हैं जिससे कि हमारे देश के पूर्व सैनिक जो वन रैंक वन पेंशन (OROP) का काफी लंबे समय से इंतजार कर रहे है उनके पास गलत खबर पहुंच रही है

सरकार दबा रही आवाज

पूर्व सैनिकों की भावनाओं के साथ जो खिलवाड़ आज के सोशल मीडिया वाले कर रहे हैं तो उसमें हमारी सरकार भी पीछे नहीं है जैसा कि आप सबको मालूम होगा आज भी हमारे भूतपूर्व सैनिक ((Ex-Servicemen) दिल्ली जंतर मंतर पर अपनी वन रैंक वन पेंशन (OROP) की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं लेकिन सरकार अपनी मनमानी कर रही है पूर्व सैनिको की कोई भी खबर बाहर नहीं आने दे रही है जिससे कि जो वन रैंक वन पेंशन (OROP) के लिए आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिक है वो निराश है क्योकि आम जनता को इस बारे में कुछ पता ही नहीं है

मीडिया और अखबार सरकार के कंट्रोल में

भारत के अंदर मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है लेकिन अब यही चौथा स्तंभ सरकार द्वारा अपने हिसाब से इस्तेमाल किया जा रहा है क्योंकि आज के समय पर सरकार ही मीडिया अखबार से अपने मुताबिक खबरें पब्लिश करवाती है कोई भी सरकार के खिलाफ कुछ भी नहीं लिख सकता है इससे की लोकतंत्रको भी नुकसान हो रहा है मीडिया को तो सरकार की अच्छाई और बुराई सब दिखानी चाहिए लेकिन मीडिया को सरकार पूरी तरह से कंट्रोल कर रही है यदि एक तरह से ये कहा जाए की सरकार मीडिया को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रही है और लोकतंत्र के चौथे सतम्भ को कटपुतली की तरह नचा रही है

सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मान रही सरकार

वन रैंक वन पेंशन को लेकर केंद्र सरकार और पूर्व सैनिक सुप्रीम कोर्ट में भी आमने सामने है पूर्व सैनिको ने अपनी वन रैंक वन पेंशन (OROP) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में है वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी पूर्व सैनिकों की मांग को जायज करार देते हुए 2023 में ही सरकार को आदेश दिया था कि सैनिकों को उनका हक वन रैंक वन पेंशन दिया जाए लेकिन सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं किया है अभी भी यह केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है जलधि इस पर कोई फैसला आ सकता है

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